वर्णन
बैगल एक गोल ब्रेड रोल है, जिसके बीच में छेद और समान वतित पतली परत होती है। बैगल के उपरी परत पर अक्सर खस-खस या तिल जैसे बीज छिड़ककर बेक किया जाता है। बैगल बनाने के लिये प्रयोग गे़ंहू का आटा, खमीर, शक्कर, तेल और नमक जैसी आम सामग्रीयें का प्रयेग किया जाता है। आटा गूँध कर, हाथों से आटे को गोल आकार देकर ब्रेड कि तरह बेक किया जाता है। विशिष्ट रूप से बैगल कि बुनावट चिकनी ओर उपर कि परत करारी होती है, जो आटे को एक खास तरीके से बेक करने पर मिलता है, जिससे आटा बहुत ज्यादा ना फूलकर बैगल के ब्रेड जैसी बुनावट प्रदान करता है। बैगल के घर पर भी बनाया जा सकता है, हालांकि समय लग सकता है।
चुनने के सुझाव
बाज़ार से बैगल खरीदने के पुर्व, बैगल कि ताज़गी जाँच लें कि वह नरम और हल्के नम हो।
रसोई में उपयोग
• विशिष्ट रूप से बैगल के आधा काटकर, टोस्ट कर खाया जाता है, और साथ ही मिले-जुले टॉपिन्ग और स्प्रेड को बैगल के दोनो तरफ रखकर परोसा जा सकता है, या सिर्फ एक भाग के उपर रखकर, ताकि दुसरे बचे भाग के उपर रखकर बैगल सेन्डविच बनाया जा सके।
• प्रयेग में आने वाले कुछ आम टॉपिन्ग हैं, क्रीम चीज़, हूमुस, टमाटर, प्याज़, कैपर और कुलु नाश्पति (मकानफल), जिनका अक्सर एक साथ प्रयेग नही होता है।
संग्रह करने के तरीके
• केशिश कर बैगल का प्रयोग उनके बाज़ार से लाने वाले दिन या बनाने वाले दिन ही कर लॆ, क्योंकि यह बहूत ज्लदि अपनी नमी खो देते हैं।
• बैगल के लंबे समय तक संग्रह करने के लिये, उनको दो टुकड़ो में काटकर, बड़े ज़िप वाली प्लास्टिक के बैग में डालकर (बैगल कि मात्रा के अनुसार) फ्रिज़र में रखें।
स्वास्थ्य विषयक
• जो बैगल मल्टि-ग्रेन आटे या संपूर्ण गेहूँ के आटे से बनते हैं, उनकि रेशांक और अन्य आहार त्तवों कि मात्रा, सफेद ब्रेड के मुकाबले ज्यादा होती है क्येंकि यह सफेद ब्रेड कि तरह परिवर्तित नही होते।
• बैगल में प्रस्तुत रेशांक कुछ स्थायी बिमारीयॉ जैसे कब्ज हेने के खतरे कम कर देता है।
• यर रक्त में शक्करा कि मात्रा के कम रखकर, मधुमेह को संभालने में मदद करता है।
• यह हमारे शरीर में कुछ पौष्टिक विटामीन, मिनरल और वसा भी प्रदान कर सकते हैं।