वर्णन
जैसा इसका नाम है, उबली हुई पिली मूंग दाल का मतलब है पिली मूंग दाल को पकाने के लिये उबाला हुआ। प्रति 1 कप दाल मे 2 कप साफ पानी मिलाकर ढ़ककर पकायें। इस तरह पकाने से पकाने का समय कम होता है, ऊर्जा भी कम मात्रा मे प्रयोग होता है और ज़्यादा से ज़्यादा विटामीन बने रहते है। पानी के उबलने पर, आँच धिमी कर मध्य-कम आँच पर पकायें। अगर दाल ज़्यादा गाढ़ी हो जाये तो थोड़ा और पानी मिलायें। दाल पकने पर नरम हो जाती है और पानी गाढ़ा हो जाता है। इस समय, आप साल मे अपनी पसंद या व्यंजन अनुसार मसाले, सब्ज़ीयाँ या पके हुए चावल मिला सकते है।
चुनने का सुझाव
• बाजडार से दाल खरीदने के समय, इस बात का ध्यान रखें कि दाल साफ, और पत्थर या कंकड़ से मुक्त हो। साथ ही दाल पुरानी है या नयी, इसके लिये पैक करने कि दिनाँक जाँच लें।
• पकाने से पहले दाल को धोना ज़रुरी होता है।
रसोई मे उपयोग
• दो मध्यम आकार कि प्याज़ काट लें, साथ ही इच्छा अनुसार लहसुन और अजमोद काट लें। इन्हे मिली-जुली सब्ज़यीयों के साथ, जैसे पालक और लौकी, स्टर फ्राय करें और पकी हुई दाल मे मिलायें, साथ ही नमक और कालीमिर्च मिलाकर मुख्य आहार के साथ स्वादिष्ट सूप बनायें।
• उबली और मसली हुई मूंग दाल का प्रयोग करेले या शिमला मिर्च के लिये भरवां मिश्रण के रुप मे किया जा सकता है।
• इन्हे पराठों मे भरकर या सूप या स्ट्यू मे माँस या सब्ज़ीयों के मिला सकते है।
संग्रह करने के तरीके
• सूखी पिली मूंग दाल को सवा बंद डब्बे मे रखें।
• उबली हुई पिली मूंग दाल को फ्रिज मे रखकर इसका प्रयोग एक या दो दिन के अंदर कर लेना चाहिए।
स्वास्थ्य विषयक
• अन्य दाल और साबूत दाल कि तरह, उबली हुई पिली मूंग दाल भी प्रोटीन और खाद्य रेशांक का अच्छा स्तोत्र है।
• इसमे वसा कि मात्रा कम होती है और यह विटामीन बी-कॉम्प्लेक्स्, कॅल्शियम और पौटॅशियम से भरपूर होता है।
• अन्य दाल कि तुलना मे यह खाने मे हल्की और पचाने मे आसान होती है। इसे खाने से गैस नही होती। इसलिये यह वृद्ध के लिये लाभदायक होती है। इसका प्रयोग कर बना सूप या खिचड़ी बिमारी से उठने पर उपयुक्त आहार होता है।
• बचपन, गर्भवस्था और स्तनपान करते समय इसका सेवन पौष्टिक होता है और स्वास्थ्य के लिये लाभदायक होता है।