मिश्री ( Misri )

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वर्णन
शक्कर के जमे हुए कण को मिश्री कहते है। मिश्री उत्तपादन का मूल स्तोत्र भारत और पर्शीया है।
नौंवी सदी में अरबी लेखक ने अपने प्रांत के अलग-अलग भाग मे मिश्री के उत्तपादन का वर्णन किया हैः जहाँ मश्री के कण सूपरसैच्यूरेटड शक्कर के घोल को ठंडा कर बनता है। करीस्टलीकरण कि क्रीया तेज़ करने के लिये, मिठाई बनाने वालो ने बाद में शक्कर कर घोल मे छिटी-छोटी टहनी डालकर क्रीस्टल बनाना सीखा। शक्कर के घिल को कोकनीयल और ईन्डीगो से रंग कर अम्बरग्रीस् या फूल के सत् से सुगंधित किया जाता है।
भारत मे मिश्री अक्सर रंगा नही जाता या हल्के नारंगी रंग से रंगा जाता है। रंग-बिरंगी मिश्री बनाने के लिये अन्य प्रकार का खाने का रंग मलाया जा सकता है। मिश्री का खाने मे बहुत तरीको से प्रयोग किया जाता है और कुछ व्यक्ति इसे पसी हुई शक्कर कि जगह प्रयोग करते है।

पीसी हुई मिश्री (powdered misri)
पीसी हुई मिश्री - मिश्री को खलबत्ते का प्रयोग कर पीसा जा सकता है या मिक्सर ग्राईण्डर मे पीसा जा सकता है।

चुनने का सुझाव
• मिश्री तेड़े मेड़े आकार मे मिलती है। मिश्री हमेशा छोटे-छोटे एक समान चौकोर आकार मे मलते है।
• संपूर्ण भारत मे मिश्री बाज़ार मे आसानी से मिलती है।
• यह बाज़ार मे आसानी से सैचेट या लैमिनेटड प्लास्टिक पैक मे मिलता है।
• इसका रंग सफेद और बिना मिलावट के होना चाहिए और मिश्र मे धुल या स्टिक दिखने नही चाहिए।

रसोई मे उपयोग
• चाय या कॉफी को मीठा बनाने के लिये मिश्री उपयुक्त माना जाता है और टेबल पर रखा यह अपने आप मे ही अच्छा लगता है।
• घर पर फ्रूट लिकर बनाने के लिये यह मशहुर है।
• दोनो बच्चे और बड़ो का मनपसंद, मिश्री खाने के बाद मीठे के रुप मे जजता है।
• सौंफ के साथ मिलाकर यह अच्छा मुखवास बनाता है।

संग्रह करने के तरीके
• मिश्री को हवा बंद डब्बे मे रखकर ठंडी और सूखी जगह पर रखें।