वर्णनशक्कर के जमे हुए कण को मिश्री कहते है। मिश्री उत्तपादन का मूल स्तोत्र भारत और पर्शीया है।नौंवी सदी में अरबी लेखक ने अपने प्रांत के अलग-अलग भाग मे मिश्री के उत्तपादन का वर्णन किया हैः जहाँ मश्री के कण सूपरसैच्यूरेटड शक्कर के घोल को ठंडा कर बनता है। करीस्टलीकरण कि क्रीया तेज़ करने के लिये, मिठाई बनाने वालो ने बाद में शक्कर कर घोल मे छिटी-छोटी टहनी डालकर क्रीस्टल बनाना सीखा। शक्कर के घिल को कोकनीयल और ईन्डीगो से रंग कर अम्बरग्रीस् या फूल के सत् से सुगंधित किया जाता है।भारत मे मिश्री अक्सर रंगा नही जाता या हल्के नारंगी रंग से रंगा जाता है। रंग-बिरंगी मिश्री बनाने के लिये अन्य प्रकार का खाने का रंग मलाया जा सकता है। मिश्री का खाने मे बहुत तरीको से प्रयोग किया जाता है और कुछ व्यक्ति इसे पसी हुई शक्कर कि जगह प्रयोग करते है।
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