इसके मक्ख़न जैसे और गाढ़े रुप के कारण, इसे कभी-कभी बटर-बीनस् भी कहा जाता है, जिसका स्वाद सौम्य होता है और यह विभिन्न प्रकार के व्यंजन के साथ खूब जजता है। यह विभिन्न आकार में मिलते हैं, क्रीम रंग के चपटे लंबे बीज से लेकर चौड़े कड़े बीज और हल्के सफेद रंग के अंडाकार बीज तक। इस बहु-उपयोगी सामग्री का प्रयोग अकसर महाराष्ट्रियन, गुजराती और पारसी रसोइ में पारंपरिक व्यंजन में किया जाता है, जैसे वान्गी अनि वाल, वालोर मूठिया नू शाक, टिट्टोरी दाल आदि।
भिगोए हुए वाल (soaked vaal)
दानों को साफ कर किसी भी प्रकार के पत्थर या कंकड़ निकाल लें। पानी से धो लें। अब गुनगुने पानी में भिगो दें। इससे पकाने का समय कम हो जाता है और साथ ही समय और ऊर्जा बचाने में मदद करता है। इसके बाद आप इसे व्यंजन ानुसार प्रयोग कर सकते हैं।
वाल चुनने का सुझाव (suggestions to choose vaal, field beans, butter beans)• यह सूखे वाल, साबूत या दाल के रुप में, पहले से पैक या थोक में भी मिलते हैं।
• पहले से पैक किये हुए वाल खरीदने पर, समापन के दिनांक की जांच कर लें।
• अन्य किसी भी थोक में खरीदने वाले खाद्य पदार्थ की तरह, इस बात का ध्यान रखें कि जिस बर्तन में वाल रखा है, वह ढ़का हुआ हो और दुकान में ताज़ा सामान मिलता हो।
• चाहे थोक में खरीदें या पेकेट में, इस बात का ध्यान रखें कि वाल नमी से मुक्त है।
वाल के उपयोग रसोई में (uses of vaal, field beans, butter beans in Indian cooking)
• पकाने के बाद, वाल खुशबूदार हो जाता है और इसका स्वाद हल्के कड़वेपन के साथ क्रीमी हो जाता है। यह गुड़, नारीयल और अदरक के साथ बेहद जजता है।
• इन बीनस् को तला जा सकता है, जिससे, इसका छिलका निकल जाता है, और इसके बाद इसमें नमक या मसाले डालकर कुरकुरा नमकीन नाश्ता बनाया जा सकता है।
• आप पके हुए वाल को सूप, सेण्डविच और सलाद में मिला सकते हैं।
• रंगून ना वाल, इस वाल का प्रयोग कर एक आसान और पौष्टिक व्यंजन है।
• वाल, जिसे लिमा बीनस् भी कहा जाता है, चायना, पेरु (हबाबस् सलाद), मेक्सिको (हबाबस् कोर्न चिली) और थायलेन्ड में काफी मशहुर है, जहाँ इसे "उपन माउथ नट" भी कहा जाता है।
• शैज़वान पाकशैली में, बीनस् को सोयाबीन और चिली पैपरस् के साथ मिलाकर एक तीखा खमीर वाला पेस्ट बनाया जा सकता है जिसे डौबानजियेनग कहा जाता है।
• बहुत से अरब शहरों में, फावा बीनस् का प्रयोग सुबह का नाश्ता बनाने के लिए किया जाता है जिसे फुल मिडामस् कहते हैं, जिसे पके या कुचले हुए वाल को सा़स के साथ मिलाकर बनाया जाता है।
वाल संग्रह करने के तरीके • वाल को साफ कर पत्थर या धूल जैसे कंकड़ निकाल लें।
• इसे लंबे समय तक हवा बंद डब्बे में रखकर ठंडी और सूखी जगह पर रखा जा सकता है।
• पके हुए वाल को फ्रिज में रखकर 3 से 4 दिन तक रखा जा सकता है।
वाल के फायदे, स्वास्थ्य विषयक (benefits of vaal, field beans, butter beans in Hindi)वाल प्रोटीन और फाइबर का भंडार है। इन पोषक तत्वों की जोड़ी आपको लंबे समय तक भरा हुआ महसूस कराती है, जिससे अनावश्यक भोजन का सेवन कम करने और साथ ही वजन कम करने में मदद मिलती है। फाइबर पाचन में भी सहायता करता है और पाचन स्वास्थ्य को बनाए रखता है। इन बीन्स में रक्त शर्करा को सामान्य करने वाला प्रभाव भी होता है, जो मधुमेह रोगियों के लिए लाभकारी हो सकता है। इस दाल में मौजूद जिंक एक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करता है और कैंसर और थकान से बचाने में मदद करता है। इनमें विटामिन बी 1 में भी प्रचुर मात्रा में होते हैं जो तंत्रिका कामकाज में भूमिका निभाते हैं। अंकुरित होने पर इनमें विटामिन और मिनरल कई गुना बढ़ जाता है।