अन्य नाम
लो फॅट खोया
वर्णन
दूध को लंबे समय तक उबालने से खोया मिलता है। दूध तब तक उबाला जाता है, जब तक अर्ध ठोस पदार्थ, जो गाढ़ा होने पर भी उसका स्वाद सौम्य होता है और यह देसी मिठाई बनाने के लिये बेहतरीन होता है। वहीं दुसरी ओर लो फॅट खोया वह है जो तब मिलता है जब, मिल्क पाउडर को मलाई के साथ एक माईक्रोवेव बाउल में मिलकार ७-८ मिनट तक माईक्रोवेव में पकाया जाता है। इस मिश्रण को हर २ मिनट मे मिलाना ज़रुरी है। इस विधी से एक ताज़ा और वसा मुक्त खोया बनता है। अपने पसंदिदा बर्फी, गुलाब जामुन, गाजर का हल्वा, कलाकंद आदि जैसी मिठाईयों को अब आप अंशीय दोष मानकर खा सकते है। मावा अक्सर घर पर बनाया जाता है क्योंकि यह बाज़ार में आसानी से नही मिलता। नीचे दि गयी व्यंजन विधी का लिंक को अपनाकर आप यह घर पर आसानी से बना सकते हैं।
चूरा किया हुआ लो फॅट मावा (crumbled low fat mawa)
लो फॅट मावा का चूरा करने के लिये, मावा का एक छोटा टुकड़ा अपने हाथ मे लेकर बारीक चूरा बना लें। इसका अक्सर हल्वा और लड्डू बनाने के लिये प्रयोग किया जाता है।
कसा हुआ लो फॅट मावा (grated low fat mawa)
इसके लिये, हाथ किसनी से मावा को कसा जाता है। कसा हुआ मावा बारीक होता है और इसका बर्फी, गुलाब जामुन…आदि में प्रयोग होता है।
रसोई मे उपयोग
• मावा एक विशेष सामग्री है जो ना सिर्फ किसी भी मिठाई को स्वादिष्ट और अनोखा बनाता है, लेकिन इसकि खासीयत इसका दरदरापन है।
• गुलाब जामुन, कलाकंद, बर्फी. मावा रोल्स… आदि मिठाई बनाने में इसका प्रयोग किया जाता है।
• मावा का प्रयोग खास ग्रेवी वाली स्बज़ीयाँ जैसे शाही पनीर, मलाई कोफ्ता…आदि बनाने में भी किया जाता है।
संग्रह करने के तरीके
• लो फॅट मावा को डीप फ्रिज़र में हफ्ते भर से १५ दिनों के लिये संग्रह किया जा सकता है।
स्वास्थ्य विषयक
• भैंस के दूध से बने मावा के अनुकुल यह इस मावे में वसा और कॅलरी कि मात्रा कम होती है, और इसलिये यह हमारी मिठाई खाने कि लालसा को पुरा करने में मदद करता है।
• दूध के अन्य पदार्थ कि तरह, मावा भि प्रोटीन और कॅलशियम का अच्छा स्रोत है।