जाविंत्री ( Mace )

जाविंत्री क्या है ? ग्लॉसरी, इसका उपयोग, स्वास्थ्य के लिए लाभ, रेसिपी  Viewed 30913 times

अन्य नाम
जावित्री

जाविंत्री क्या है?


जाविंत्री एक तेज़ लाल रंग या लाल रंग वला मसाला है, जो जायफल या साबूत जायफल के बीज की अंदरुनी परत होती है। इसका स्वाद जायफल की तुलना में ज़्यादा सौम्य होता है और इसका प्रयोग सौम्य स्वाद वाले व्यंजन में किया जाता है। इसमें ज़रुरी तेल होते हैं, जो खास स्वाद और खुशबु प्रदान करते हैं। जाविंत्री को खाना बनाने की शुरुआत में डालना चाहिए जिससे इसका स्वाद निखर कर आता है।


जाविंत्री चुनने का सुझाव (suggestions to choose mace, javintri, javitri, javantri)


• लगभग सभी किराने की दुकानों में मसालों के बीच जाविंत्री आसानी से मिल जाती है।
• यह अकसर काँच की बोतल में पाउडर रुप में, साबूत या छोटे टुकड़ो में कटे हुए मिलता है।
• खरीदते समय, करारेपन की और इसके गहरे लाल या नारंगी रंग की जांच कर लें।
• पाउडर रुप में खरीदते समय, गहरे भुरे रग का पाउडर चुनें। पैकेट को छूकर यह देख लें कि उसमें डल्ले ना हो जो पाउडर में नमी का संकेत हो सकते हैं।

जाविंत्री के उपयोग रसोई में (uses of mace, javintri, javitri, javantri in Indian cooking)


• इसके सौम्य स्वाद के कारण, जाविंत्री का प्रयोग अकसर ब्रोथ, सूप, मैश्ड पटॅटोस् और चावल से बने व्यंजन में किया जाता है।
• यह व्यंजन को हल्का नारंगी रंग प्रदान करता है और इसका प्रयोग सॉस, करी, अचार और कैचप में किया जाता है।
• इसके सौम्य स्वाद के कारण, जो काली मिर्च और दालचीनी के समान होता है, इसका प्रयोग चाय या मसाला मिल्क में भी किया जा सकता है।
• जाविंत्री का प्रयोग अकसर पाई, मिल्क कस्टर्ड, पुडिंग, फल से बने व्यंजन, बिस्कुट, मफिन, केक और ब्रेड जैसे मीठे व्यंजन में किया जाता है।

जाविंत्री संग्रह करने के तरीके 


• जाविंत्री को लबे समय तक रखा जा सकता है, केवल इस बात का ध्यान रखें कि इसे काँच की बोतल में रखकर ठंडी, सूखी जगह पर और सूर्य की किरणों से दूर रखें।
• इसे फ्रिज में रखना ज़रुरी नहीं होता।
• ताज़े जाविंत्री का स्वाद लगभग 6 महीने तक बना रहता है।

जाविंत्री के फायदे, स्वास्थ्य विषयक (benefits of mace, javintri, javitri, javantri in Hindi)

जाविंत्री गदा पाचन में मदद करता है और भूख को भी बढ़ाता है। यह बैक्टीरिया और वायरस से लड़कर पाचन तंत्र को साफ करने में भी मदद करता है। जाविंत्री आंतों की गैस और पेट फूलने से राहत दिला सकता है। यह उल्टी, मतली और सामान्य पेट की बेचैनी को भी कम कर सकता है। इसमें मौजूद यौगिक यूगनॉल दांत दर्द से राहत देने के लिए उपयोगी पाया गया है और इस प्रकार यह टूथपेस्ट में एक महत्वपूर्ण घटक होता है। पोटेशियम से समृद्ध होने के कारण, यह हृदय की रक्षा करने वाले लाभों के लिए जाना जाता है। इसमें कुछ मात्रा में आयरन, विटामिन ए, विटामिन सी और फाइबर भी होता है।

जाविंत्री का पाउडर (mace powder)
जाविंत्री का पाउडर, जिसे पीसी हुई जाविंत्री भी कहते हैं, एक भुरे रंग का बारीक पाउडर होता है। इसका स्वाद तीखा, लेकिन जायफल की तुलना में सौम्य होता है। इसकी तेज़ खुशबु काली मिर्च और दालचीनी का मेल होता है और इसलिए कभी-कभी इसका प्रयोग काली मिर्च की जगह किया जाता है। जाविंत्री पाउडर बनाने के लिए, साबूत जाविंत्री को पहले साफ कर गरम पॅन में भुन लें जिससे इनमें नमी की मात्रा कम होकर यह करारे हो जायेंगे। ठंडा कर लें। अब मिक्सर में हलके हाथों पीस लें। ज़रुरत हो तो, मुलायम पाउडर के लिए इसे छान लें। इसे काँच की बोतल में रखकर अच्छी तरह बंद कर लें। इसे हमेशा खाना बनाने की शुरुआत मे डालें, जिससे इसके ज़रुरी तेल से सारा स्वाद निखर कर आता है।