राजमा ( Rajma )
राजमा क्या है ? ग्लॉसरी, इसका उपयोग,स्वास्थ्य के लिए लाभ, रेसिपी
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राजमा क्या है?
जैसा की इसका नाम है, राजमा किडनी के आकार के लाल भुरे रंग के साने होते हैं जिनकी उपरी परत मोटी होती है। इसका स्वाद तेज़ होता है और खाने के बाद यह थोड़ा मीठा लगता है, इसकी खूशबु मेवेदार और चबाने में थोड़ा चिकना होता है। राजमा का प्रयोग मेक्सिकन खाने में बहुत ज़्यादा किया जाता है और कुछ भारतीय व्यंजन में भी। यह पंजाबी पाकशैली में बेहद मशहुर है।
लाल राजमा (Red rajma)गहरे लाल रंग का राजमा पकने के बाद भी अपना आकार बनाये रखते हैं और बहुत अच्छी तरह से स्वाद अपना लेते हैं, जो इसे पके हुए व्यंजन के लिए पसंदिदा मेल बनाता है। छोटे और बड़े आकार के साने उपलब्ध है और आप अपनी पसंद अनुसार चुन सकते हैं।
काला राजमा (Black rajma)बहुत से प्रदेशों में, काले राजमा और अन्य पिन्टो बीनस्, नेवी बीनस् आदि को अकसर आम बीनस् के रुप में जाना जाता है। काले राजमा दोनो बड़े और छोटे दानों में मिलते हैं, इसलिए अपनी पसंद अनुसार चुनें।
राजमा चुनने का सुझाव (suggestions to choose rajma) • राजमा सूखे या कॅन्ड रुप में बाज़रमें आसानी से मिलते हैं।
• समान आकार के राजमा चुनें और कंकड़ मुक्त राजमा चुनें।
राजमा के उपयोग रसोई में (uses of rajma in cooking )
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राजमा का उपयोग करके दाल की रेसिपी | dal recipes using rajma |
1. दाल मखनी रेसिपी तो पंजाब में माँ दी दाल के नाम से लोकप्रिय है। इसकी रेशमी मखमली बनावट और सुंदर स्वाद उसे सचमुच पंजाब का एकप्रसिध्द पंजाबी व्यंजन बनाते हैं।
2. माँ की दाल रेसिपी : माँ की दाल, टमाटर, दही और क्रीम के साथ स्वाद-यह एक समृद्ध भावना है जिसका आप आनंद ले सकते हैं। सुनिश्चित करें कि बीन्स और दाल रात भर अच्छी तरह से भिगोए जाते हैं।
3. राजमा उड़द दाल की रेसिपी : इस नुस्खे में मिश्रित दाल को विविध प्रकार के मसालों और लहसुन के साथ 2 टी-स्पून तेल में पकाया गया है। यह राजमा उड़द दाल लुभावनी होने के साथ-साथ आपके लोह, फाईबर और विटामीन–सी के स्तर में भी बढ़ावा करती है।
4. राजमा करी : राजमा करी और चावल…इससे बेहतर और स्वादिष्ट और कोई खाना नही है। राजमा पौष्टिक और संपूर्ण आहार है और टमाटर के गाढ़े ग्रेवी और मसालों के साथ पकाने के बाद बेहतरीन लगता है। यह करी पंजाब में मशहुर है और लगभग सभी उम्र के लोगों की मनपसंद।
राजमा, चावल के व्यंजनों में उपयोग किया जाता है | rajma used in rice dishes |
1. इस आसान राजमा चावल रेसिपी का अनुसरण करें, जो कि पंजाब के सबसे लोकप्रिय व्यंजनों में से एक, राजमा की थोड़ी भिन्नता है। इस पंजाबी राजमा चवल की स्वादिष्टता में, पका हुआ किडनी बीन्स रोमांचक रूप से अदरक और हरी मिर्च से लेकर टमाटर और प्याज, मसाले के साथ पकाया जाता है और फिर चावल में मिलाया जाता है।
राजमा का तेज़ स्वाद और खूशबु, सूप और चावल आधारित व्यंजन में बेहद जजता है।
• राजमा का प्रयोग पंजाब में अकसर करी और सब्ज़ीयों में किया जाता है।
• राजमा करी उत्तर भारत के साथ-साथ अन्य जगह पर भी बेहद मशहुर है। राजमा करी को सादे चावल, ककड़ी सलाद और अपने पसंद के अचार के साथ परोस कर स्वादिष्ट संपूर्ण आहार बनाऐं।
• राजमा का प्रयोग अकसर चिली, रीफ्राईड बीनस्, सूप, सलाद, सिमर किये हुए व्यंजन और पास्ता व्यंजनों में किया जाता है।
चुनने का सुझाव
• सूखे राजमा को हमेशा हवा बंद डब्बे में रखकर समान्य तापमान पर रखें। सूखे दानों को फ्रिज में ना रखें।
• पकाने के बाद, दानों को ढ़ककर फ्रिज में 5 दिनों तक रखा जा सकता है और 6 महीनों तक फ्रीज़र में रखा जा सकता है।
• पकाने के पहले हमेशा दाने को धोकर किसी भी प्रकार के कंकड़ निकालने के लिए साफ कर लें।
राजमा के फायदे, स्वास्थ्य विषयक (benefits of rajma in hindi
• राजमा, अन्य बीनस् की तरह, कलेस्ट्रॉल कम करने वाले रेशांक का अच्छा स्रोत है।
• कलेस्ट्रॉल कम करने के साथ-साथ, राजमा में उच्च मात्रा में रेशांक, खाने के बाद, रक्त में शक्करा की मात्रा को तेज़ी से बढ़ने से रोकता है, जो इन दानों को मधुमेह, इन्सुलिन रेसिसटेन्ट या हाईपोग्लाईसिमिया से पीड़ीत व्यक्तियों के लिए उपयुक्त बनाता है।
• बीनस् में वसा की मात्रा कम होती है और आहारतत्वों से भरा हुआ होता है, लेकिन इनमें गैस बनाने वाले एनज़ाईम भी होते हैं, इसलिए भिगोते और पकाने के दौरान, समय-समय पर पानी बदलते रहें, जिससे इन्हें पचाने में आसानी होती है।
• राजमा फोलॅट, खाद्य रेशांक और मॅन्गनीस के बेहतरीन सरोत हैं।
• राजमा प्रोटीन, थायामीन (विटामीन बी1), फोसफोरस, लौह, कॉपर, मैगनिशियम् और पौटॅशियम के अच्छा स्रोत है।
कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स of राजमा, Rajma
राजमा का ग्लाइसेमिक इंडेक्स 29 होता है, जो कम गिना जाता है। ग्लाइसेमिक इंडेक्स का मतलब आपके रोज़ के खाने में पाए जाने वाला कार्बोहाइड्रेट युक्त पदार्थ आपके रक्त शर्करा या ग्लूकोज़ के स्तर को कितनी तेज़ी से बढता है उसका क्रम होता है। 0 से 50 तक के खाद्य पदार्थ का ग्लाइसेमिक इंडेक्सकम होता है, 51 से 69 तक के खाद्य पदार्थ का ग्लाइसेमिक इंडेक्स मध्यम होता है और 70 से 100 तक का ग्लाइसेमिक इंडेक्स उच्च माना जाता है। उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले पदार्थ वजन घटाने और मधुमेह के लिए उपयुक्त नहीं होते। राजमा जैसे खाद्य पदार्थ जिनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है और यह धीरे–धीरे अवशोषित होते हैं, इसलिए यह पदार्थ रक्त शर्करा को तुरंत बढ़ने नहीं देते। ऐसे पदार्थ वजन घटाने के लिए और मधुमेह के लिए उपयुक्त होते हैं।
उबाले और क्रश किए हुए राजमा (boiled and crushed rajma)
उबले हुए राजमा (boiled rajma)
राजमा धोकर रातभर पानी में भिगो दें। छानकर पानी निकाल दें। भिगोये हुए राजमा को पानी के साथ प्रैशर कुकर में मिला लें। इसमें पानी राजमा से 2" उपर होना चाहिए। ढ़क्कन बंद कर लें। आँच पर लाकर 15 मिनट के लिए पका लें। आँच से हठा लें। प्रैशर कम होने तक, ढ़क्कन खोलकर सारा पानी निकाल दें। ज़रुरत अनुसार पके हुए राजमा का प्रयोग करें।
राजमा को खूले बर्तन में भी पकाया जा सकता है। भिगे हुए राजमा को बर्तन में डालकर पूरी तरह से पानी से भर लें। स्वादअनुसार नमक डालें। ढ़क्कन बंद कर पका लें। पकने के बाद, आँच से हठाकर पानी छान लें। प्रक्रीया, राजमा के मात्रा, गुण और राजमा पर पकाने का समय निर्भर करेगा।
उबले हुए राजमा को अपनी पसंद अनुसार, विभिन्न व्यंजनों में डालकर या अपने आप, गुनगुना या ठंडा खाया जा सकता है।
भिगोए हुए राजमा (soaked rajma)
राजमा भिगोने के लिए, पहले अच्छी तरह से धोकर, किसी भी प्रकार के पत्थर निकालकर गुनगुने पानी में भिगो दें। राजमा भिगोते या पकाते समय, थोड़ी-थोड़ी देर में पानी बदलना चाहिए। पानी निकालने से, अपच कॉम्प्लेकस् शक्कर निकालने में मदद मिलती है, जो आंतो में गैस बनाते हैं। ऐसा करने से राजमा पकाने में भी आसानी होती है और उनके आसानी से मसलने तक पकाया जा सकता है।
भिगोए हुए राजमा को हवा बंद डब्बे में रखकर फ्रिज में रखकर 2-3 दिन के अंदर इसे प्रयोग कर लें। लंबे समय तक संग्रह करने से राजमा में से अनचाही बदबू आ सकती है।
राजमा भिगोने से किसी भी प्रकार के पौष्टिक तत्व नहीं निकलते लेकिन पचाने में आसान हो जाते हैं। जोनको गैस संबंधित बिमारी हो, उनके लिए राजमा को भिगोना आवश्यक हो जाता है।
अंकुरित राजमा (sprouted rajma)
राजमा को रातभर भिगोने के बाद, सूती कपड़े या चीज़ क्लॉथ से ढ़क दें। गरम जगह पर रखकर अंकुर आने दें। अंकुरित होने की प्रक्रीया शुरु होने के बाद, अंकुर आने शुरु हो जाते हैं। समय-समय पर पानी बदलने का ध्यान रखें। 24 से 26 घंटे के अंदर, छोटे खाने योग्य अंकुर निकल जायेंगे। हल्के साथों से धोकर व्यंजन में इसका प्रयोग करें। इन अंकुर को सूर्य की किरणों के सामने ना रखें।