साबूदाना ( Sago )

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साबूदाना क्या है?



साबूदाना एक खाद्य पदार्थ है जिसे साबूदाने के जड़ों के दुध से बनाया जाता है। इसके जड़ को साफ कर, छिला जाता है और पीसकर दुध निकाला जाता है। दुध को टंकी में 3 से 8 घंटे के लिए रखा जाता है, जिससे खराब पदार्थ उपर तैरने लगते हैं और उन्हें छाना जा सकता है। जमे हुए दुध के केक को खास मशीन के द्वारा छोटे कणों में बदला जाता है। इन छोटे कणों को छन्नी से आकार अनुसार छाँटा जाता है और गरम प्लेट में ज़रुरत अनुसार भुना जाता है। साबूदाने को बाद में धूप में सूखाया जाता है। कभी-कभी, इन्हे और चमकीला बनाने के लिए पॉलिश किया जाता है।

साबूदाना भारत में बच्चों के खाने के लिए और सुबह के नाश्ते के रुप में बेहद मशहुर है। क्योंकि साबूदाना स्टार्च से भरपुर होता है और साथ ही ऊर्जा से और इसमें किसी भी प्रकार के आर्टिफिशियल स्वीटनर या रसायनिक पदार्थ नहीं होते।

नायलॉन साबूदाना (nylon sago)
भिगोए हुए साबुदानेंं (soaked sago)
साबूदाने को नल के नीचे, बिना ज़्यादा दबाये, पानी से धो लें। पानी या पतली छाछ में एक घंटे के लिए भिगो दें। छानकर, थोड़ा पानी छिड़के और 2-3 घंटे के लिए रख दें। समय-समय पर पानी छिड़कते रहें।

साबूदाना चुनने का सुझाव (suggestions to choose sabudana)
• साबूदाना बाज़ार में आसानी से मिलता है।
• सूखे समान आकार के दाने चुनें।
• यह अलग-अलग आकार में मिलते हैं, जैसे छोटे, मध्यम या बड़े; व्यंजन अनुसार खरीदें।
• किसी भी प्रकार के पीले दाग वाला साबूदाना ना खरीदें।
• पैक करने की दिनांक और समापन के दिनांक की अच्छी तरह जांच करें।
• कभी-कभी साबूदाने को पहले से पकाया जाता है। अगर ऐसा है तो इसे सभी प्रकार के व्यंजन में प्रयोग नहीं किया जा सकता। इसकी हमेशा जांच करें।

साबूदाना के उपयोग रसोई में (uses of sabudana in cooking )


• पकाने पर साबूदाने का रंग सफेद से पार्दर्शी हो जाता है और यह नरम और स्पन्जी हो जाता है। यह खीर, खिचड़ी, वड़े बनाने के लिए उपयुक्त होता है।
• अधिकतर व्यंजन बनाने के लिए, साबूदाने का प्रत्येक दाना अलग होना चाहिएम इसलिए यह ज़रुरी है कि आप इसे बहुत ज़्यादा ना भिगोऐं वरना यह चिपचिपा पेस्ट बन सकता है।
• साबूदाना गरमी के प्रति बेहद संवेदशील होता है। अगर आप भिगे हुए साबूदाने को मसाले वाले गरम तेल या घी में पकाने की कोशिश करते हैं, तो यह चिपचिपे हो सकते हैं, जिन्हें अलग करना मुश्किल हो जाता है। इसके बजाय, साबूदाने को ध्यान से मसाले वाले तेल में पॅन के थोड़े ठ़डा होने के बाद डालें। अगर आपको इसे दुबारा गरम करना पड़े तो बेहर धिमी आँच पर गरम करें।
• साबूदाने का प्रयोग हल्के नाश्ते के रुप में, भारतीय व्यंजन में अकसर एकादशी या उपवास के दिनों में किया जाता है।
• उत्तर और पश्चिमी भारत में, इसका प्रयोग अकसर उपवास के दिनों में किया जाता हैम जैसे साबूदाने की खिचड़ी (जिसे भिगोए हुए साबूदाने को तले हुए आलू, मिर्च और मूंगफली मिलाकर बनाया जाता है) और साबूदाना वड़ा।
• दक्षिण भारत में, इसका प्रयोग धूप में पापड़ जैसे सूखे वेफर बनाने के लिए किया जाता है और गाढ़ी मिठाई, जिसे जावारिस्सी पायसम कहते हैंम बनाने के लिए भी किया जाता है।

संग्रह करने के तरीके
• ज़रुरत अनुसार ही खरीदें और बहुत ज़्यादा ना खरीदें।
• हवा बंद और सूखे डब्बे में रखकर किछ हफ्ते या महीने के लिए रखा जा सकता है।
• पुराने और नये साबूदाने को ना मिलायें।
• नमी से दूर रखें, क्योंकि थोड़ा सा पानी भी इसे चिपचिपा बना सकता है।

साबूदाना के फायदे, स्वास्थ्य विषयक (benefits of sabudana, Sago in Hindi)  साबूदाना एक सुपर एनर्जी और कार्ब लोडेड अनाज है। किसी भी भोजन में इस तरह के उच्च कार्ब्स का सेवन, चाहे वह स्नैक हो या लंच हो या डिनर हो, स्वस्थ नहीं माना जाता है। अतिरिक्त कैलोरी और कार्ब्स से वजन आसानी से बढ़ सकता है। मधुमेह रोगियों के लिए साबूदाना बहुत स्वस्थ विकल्प नहीं है, क्योंकि यह रक्त शर्करा के स्तर को तुरंत बढ़ा सकता है। पढ़ें क्या साबूदाना स्वस्थ है? 

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