• चवली का अंकुरित या पकाकर या आटे मे पीसकर प्रयोग किया जा सकता है।
• पकाने से पहले चवली को हमेशा पानी से धो लें औे पत्थर जैसे पदार्थ निकाल लें।
• पकाने से पहले चवली को 5-8 घंटे के लिये भिगो दें। पकाते समय, हर आधे घंटे मे पानी बदलते रहें।
• इसे बहुत ज़्यादा पकाकर दाल के रुप मे बनाया जा सकता है या केवल नरम होने तक पकाकर कटे हुए टमाटर, प्याज़ और नमक के साथ मिलाकर नाश्ता बनाया जा सकता है।
• चवली का स्वाद बढ़ाने के लिये इसमे नमक मिलाना ज़रुरी होता है। पहले से ही नमक मिलाने से चवली कच्चे रह जाते है, सलिये आधा पकने पर इसमे नमक मिलायें।
• चवली के पुरी तरह पकने के बाद, स्वादअनुसार मसाले मिलायें।
• चवली का प्रयोग कर बेहतरीन करी बनाई जा सकती है। एक पॅन मे तेल या घी गरम करें, कटी हुई प्याज़ और ज़ीरा डालें। प्याज़ के सुनहरे होने तक भून लें। अदरक, लहसुन, टमाटर और कटा हुआ पार्सली डालके मिलायें। 5 मिनट धिमी आँच मे पकाकर या तेल के अलग होने तक पकाने के बाद मसाले मिलायें। इस मिश्रण को चवली के साथ मिलायें। कटा हुआ धनिया, पार्सले या दही से सजाकर परोसें।
• यह सूप और सलाद मे बेहतरीन लगते है।
चवली संग्रह करने के तरीके
• सूखी चवली को हमेशा हवा बंद डब्बे मे रखकर समान्य तापमान पर रखें।
• सूखी चवली को फ्रोज मे ना रखें।
• बीन्स् का प्रयोग साल भर के अंदर कर लेना चाहिए। लंबे समय तक तखने पर इनकी नमी खो जाती है औे इन्हे भिगने और पकने मे ज़्यादा समय लगता है।
• पकाने के बाद, चवली को ढ़ककर हवा बंद डब्बे मे बंद कर 5 दिनों तक रखा जा सकता है।
• कॅन्ड बीन्स् को खोलने पर उनका प्रयोग तुरंत कर लेना चाहिए। ज़रुरत हो तो बचे हुए बीन्स को फिज़र मे रखें। इसे खोले या बिना खोले 2 हफ्तों तक रखा जा सकता है।
चवली के फायदे, स्वास्थ्य विषयक (benefits of chawli, black eyed beans, lobia, cowpeas in hindi)
फोलेट या
विटामिन बी 9 से भरपूर
चौली आपके शरीर में नई कोशिकाओं, विशेष रूप से लाल रक्त कोशिकाओं (
red blood cells) के उत्पादन और रखरखाव में मदद करती हैं।
थायामिन में समृद्ध होने के कारण, यह उचित
हृदय के कार्य में भी मदद करता है। चवली
रक्तचाप को कम करने में लाभदायक है क्योंकि यह
पोटेशियम में समृद्ध है जो
रक्तचाप को नियंत्रित करता है और हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखता है। चावली
फाइबर में उच्च है और इसलिए
मधुमेह रोगियों के लिए अच्छी मानी जाती है। चवली, चौली के विस्तृत लाभ पढें।
उबली हुई चवली (boiled chawli)
उबली हुई चवली सूखी फलियों का पका हुआ रूप है। उबली हुई चवली तैयार करने के लिए,
· बहते पानी में चवली को दो बार धोएं।
· रात भर या कम से कम 4-5 घंटे भिगोएँ, अधिमानतः गर्म पानी में।
· स्वाद के लिए नमक डालें और विटामिन और एंजाइम के नुकसान से बचने के लिए इसे ढक्कन लगा दें।
· 4-5 सीटी आने तक प्रेशर कुक करें।
ये भूरे रंग में बदल जाते हैं और कोमल हो जाते हैं। त्वचा ढीली हो सकती है या छिल भी सकती है।
भिगोई हुई चवली (soaked chawli)
चवली को साफ कर किसी भी प्रकार के पत्थर या कंकड़ निकाल लें। चवली भिगोने के लिये, दो बार पानी से धोकर गुनगुने पानी मे भिगो दें। चवली भिगोने से इसके पकाने का समय कम हो जाता है जिससे ऊर्जा और समय, दोनो कि बचत होती है।