मसूर ( Masoor )

मसूर, साबूत मसूर क्या है ? ग्लॉसरी, इसका उपयोग, स्वास्थ्य के लिए लाभ, रेसिपी  Viewed 8733 times

अन्य नाम
काली मासूर, साबूत मसूर

मसूर, साबूत मसूर क्या है?


भारत मे सबसे ज़्यादा प्रयोग होने वाली दाल मे मसूर एक है। बाज़ार मे मसूर के बहुत से विकल्प मिलते है, जिनका रंग पीले से लेकर लाल-नारंगी से हरा, भूरा और काला होता है।

यह विभिन्न प्रकार के मिलते है-साबूत और दाल रुप में, छिलके के साथ या बिना छिलके के। लाल, सफेद और पीले मसूर वह होते है जिनका छिलका निकाल दिया गया होता है। साबूत मसूर भूरे रंग का होता है। इसका प्रयोग उन सभी व्यंजन मे किया जा सकता है जिसमे समूर दाल का प्रयोग किया गया हो। लेकिन साबूत मसूर को मसूर दाल कि तुलना मे पकने मे ज़्यादा समय चाहिए।


मसूर, साबूत मसूर चुनने का सुझाव (suggestions to choose masoor, whole red lentil, kala masoor)


• साबूत मसूर अक्सर पहले से पैक या खुला भी मिलता है।
• पैकिंग के अलावा, मसूर कि अच्छी तरह जाँच कर यह देख लें कि उसमे किसी भी प्रकार के पत्थर आदि ना हो और दाने टुटे हुए ना हो।

मसूर, साबूत मसूर के उपयोग रसोई में (uses of masoor, whole red lentil, kala masoor in Indian cooking)


• मसूर का प्रयोग मसूर दाल बनाने मे करें जो एक बेहतरीन भारतीय व्यंजन है।
• साबूत दाल को सब्ज़ीयों के साथ उबालकर गाढ़ा होने तक पकायें और मसालों का मिश्रण डालकर रोटी और चावल के साथ स्वादिष्ट व्यंजन बनायें।
• इसे चावल के साथ मिलाकर खिचड़ी बनयी जा सकती है।
• पके हुए मसूर को मसलकर अपने पसंद के हर्ब और मसाले के साथ मिलाकर खाने के साथ परोसें।
• खट्टा मसूर, लहसुनी मसूर, साल घोश्त या मसूर भरवां पराठे जैसे व्यंजन भी काफी मशहुर है।

मसूर, साबूत मसूर संग्रह करने के तरीके 


• साबूत मसूर को हवा बंद डब्बे मे डालकर ठंडी और सूखी जगह पर रखकर महिनो तक संग्रह किया जा सकता है।
• और भी लंबे समय तक संग्रह करने के लिये इसे फ्रिज मे रखें।

मसूर, साबूत मसूर के फायदे, स्वास्थ्य विषयक (benefits of masoor, whole red lentil, kala masoor in Hindi)

साबुत मसूर, फलियां परिवार का एक सदस्य है, जो कोलेस्ट्रॉल कम करने वाले फाइबर का बहुत अच्छा स्रोत है। यह कलेस्ट्रॉल कम करने मे मदद करता है और साथ ही मधुमेह रोगियों में रक्त मे शक्करा कि मात्रा कम रखने मे मदद करता है क्योंकि इसमें प्रस्तुत रेशांक (फाइबर) खाने के बाद बढ़ने वाली शक्कर की मात्रा कम रखता है। मसूर में उच्च मात्रा मे प्रोटीन होता है साथ ही ज़रुरी अमिनो एसिड जैसे आईसोल्यूसीन और लाईसीन, जो प्रोटीन प्रदान करने का किफायती स्तोत्र होते है और उनके लिये फायदेमंद होता है जो माँस का सेवन नहीं कर सकते। साथ ही यह फोलेट, विटामिन बी 1, पोटेशियम, मैग्नेशियम, लोह और अन्य खनिजों में भी समृद्ध है और इसमें वसा की मात्रा भी बहुत कम होती है। सलाद के रूप में, वे वजन पर नजर रखने वालों के लिए एक बुद्धिमान विकल्प हैं।

उबला हुआ मसूर (boiled masoor)
जैसा इसका नाम है, मसूर को उबालकर उबला हुआ मसूर बनाया जाता है। आप प्रति 1 कप मसूर के लिये 2 कप पानी का प्रयोग कर सकते है और इसे ढककर पका लें। इस तरह से मसूर पकने मे कम समय लेता है, ऊर्जा कि मात्रा भी कम लगती है और खुला पकाने कि तुलना में ज़्यादा से ज़्यादा विटामीन बने रहते हैं। सबसे जल्दी पकाने का तरीका प्रैशर कुक करना है, जहाँ आप उबलते पानी ईच्छअअनुसार नमक डाल सकते है। मसूर और पानी के मिश्रण को उबालकर आँच धिमी कर लें। अगर यह बहुत गाढ़ा हो जाये तो पानी मिला लें। मसूर पकने पर फूल जाता है और पानी गाढ़ा हो जाता है। इस समय आप इसमे मसाले, सब्ज़ीयाँ या उबले चावल भी मिला सकते है और बेहतरीन व्यंजन बना सकते है। साबूत मसूर को खुला पकाने पर लगभग 30 मिनट लगते है और प्रैशर कुकर में 5-6 मिनट। पकाने के दौरान थोड़ा झाग बन सकता है, जिसे आसानी से निकाला जा सकता है।
आधा उबला मसूर (parboiled masoor)
यह पकाने की एक एैसी तकनीक है जिसमे भिगोये हुए मसूर को उबलते पानी मे आधा पकाया जाता है, और पुरी तरह पकने से पहले ही निकाल दिया जाता है। बहुत से व्यंजन मे आधे उबले मसूर का प्रयोग किया जाता है जिसे बाद मे व्यंजन अनुसार पुरा पकाया जाता है।
भिगोए हुए मसूर (soaked masoor)
पहले पत्थर आदि के लिए मसूर का छाँटें और फिर पानी साफ होने तक अच्छी तरह से धो लें। अब, मसूर को 4-6 घंटे के लिए पानी में भिगो दें, और पानी छान दें। यह मसूर पकाने में आसान बनाता है और उन पदार्थों को भी हटा देता है जो अपच का कारण हो सकते हैं।