राजगिरा का आटा ( Rajgira flour )
राजगिरा का आटा क्या है, इसका उपयोग,स्वास्थ्य के लिए लाभ, रेसिपी, in Hindi
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राजगिरा का आटा क्या है?
राजगिरा का आटा, राजगिरा के पेड़ के बीज से बनता है। राजगिरा परिवार के बहुत से भाग होते हैं, जिनमें से कुछ खास तौर पर बीज के लिए उगाये जाते हैं। देखअ गया तो, छोटे-छोटे बीज वानस्पतिक रुप से बीज नहीं लेकिन फल है।
राजगिरा के आटे का उपयोग भारत में उपवास के दौरान बड़े पैमाने पर किया जाता है। भारतीय राजगिरा के आटे से पराठे, डोसे और नमकीन बनाते हैं।
हालाँकि बीज को बहुत से रुप से प्रयोग किया जाता है-ताज़े, सूखे, फूले हुए, फ्लेक्स् आदि, जहाँ सूखे बीज का आटा सबसे ज़्यादा प्रयोग किया जाता है। यह कृत्रिम अनाज का आटा ग्लूटेन मुक्त आहार के लिए, साथ ही उपवास के खने के लिए उपयुक्त है, कहाँ अनाज से बने खाना नहीं खाया जा सकता है।
राजगिरा के आटे का प्रयोग पास्ता और बेक किये हुए खाने बनाने के लिए किया जाता है। अन्य आटे के साथ, इसका प्रयोग खमीर वाले ब्रेड बनाने के लिए किया जाता है। राजगिरा के आटे के एक भाग को गेहूँ या अन्य आटे के साथ मिलाया जा सकता है। रोटी, पॅनकेक और पास्ता बनाने के लिए, 100 प्रतिशत शुद्ध राजगीरे के आटे का प्रयोग किया जा सकता है।
सूखे राजगिरा के बीज को, व्यंजन अनुसार, दरदरा या मुलयाम पीसा जा सकता है। रोटी और ब्रेड बनाने के लिए, आपको अकसर बारीक पीसे हुए आटे का प्रयोग करना पड़ेगा। राजगीरे के आटे को दरदरा भी पीसा जा सकता है, जो अपकी पसंद और व्यंजन पर निर्भर करेगा।
राजगिरा का आटा चुनने का सुझाव (suggestions to choose rajgira flour, ramadana flour, amaranth flour, rajgira ka atta)
• राजगिरा का आटा, साफ, धूल से मुक्त और बिना किसी कीड़े या बदबु के होना चाहिए।
• हो कसे तो, जैविक दाने या आटा को चुनना बेहतर होता है।
राजगिरा का आटा के उपयोग रसोई में (uses of rajgira flour, ramadana flour, amaranth flour, rajgira ka atta in cooking)
राजगिरा रेसिपीज फॉर फास्टिंग | Rajgira recipes for Fasting |
1. फराली दोसा एक और दक्षिण भारतीय पाक शैली का व्यंजन जो उपवास के दिनों में खाया जा सकता है। व्रत वाला डोसा का स्वाद हरी चटनी या मूँगफली दही चटनी के साथ खुब जजता है।
2. उपवास थालीपीठ : महाराष्ट्र के इस आम व्यंजन को एक मनोरंजक मोड़ दिया गया है। मैनें इस व्यंजन को राजगीरे का आटा और कसे हुए आलू के मेल से बनाया है। एक हल्के-फुल्के और पौष्टिक व्यंजन के लिये इसे हरी चटनी और ताज़े दही के साथ परोसें।
राजगिरा के आटे का उपयोग करके पराठे | parathas using rajgira flour |
1. राजगिरा पनीर पराठा : यह पनीर मिश्रण से भरे पराठे अपने आप में ही एक संपूर्ण व्यंजन है। पराठे को टुटने से बचाने के लिये इन्हें हल्के हाथों से थपथपाना न भूलें।
2. राजगिरा पराठा : हालंकि इस सामग्री का प्रयोग आमतौर पर नही किया जाता है, लेकिन इस काली मिर्च के स्वाद से भरे पराठों में, राजगिरा का आटा आली के साथ अच्छी तरह जजता है। आलू पराठों को नरम रखता है। इन पराठों को तीखी हरी चटनी और दही के साथ गरमा गरम परोसें।
• राजगिरा के आटे से अकसर चपाती, पराठे या रोटी बनाकर, सब्ज़ीयों के साथ परोसा जाता है।
• ग्लूटेन के प्रति संवेदशील राजगिरा चुनते हैं और इसे अकसर पकाकर पॉरिज बनाया जाता है और अन्य खने के साथ परोसा जा सकता है।
• राजगिरा के आटे से फ्लेटब्रेड के साथ मोटे खमीर वाले ड़ोसा और पतले बिना खमीर के पॅनकेक बाने के लिए किया जाता है।
• आप इससे चिक्की (मीठे बार) या फूले हुए राजगीरे से लड्डू भी बना सकते हैं।
• गोवा में, राजगिरा बेहद मशहुर है और इससे अकसर सातवा, पोल (ड़ोसा), भाकरी और अम्बील (खट्टा पॉरिज) बनोए जाते हैं।
• पुदिना के स्वाद वाले छाछ में राजगिरा और ओटस् एक पौष्टिक सुबाह का नाश्ता है।
राजगिरा का आटा संग्रह करने के तरीके राजगिरा के आटे को हवा बंद डब्बे में रखकर ठंडी और सूखी जगह पर रखें।
राजगिरा का आटा के फायदे, स्वास्थ्य विषयक (benefits of rajgira flour, ramadana flour, amaranth flour, rajgira ka atta in hindi)
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राजगिरा का आटा (benefits of rajgira flour in hindi) : राजगिरा का आटा प्रोटीन से भरपूर होता है, 1/2 कप राजगिरा के बीज से 14.7 ग्राम प्रोटीन मिलता है।सामान्य रूप से
उच्च फाइबर अतिरिक्त
कोलेस्ट्रॉल को बांधने और शरीर से इसे बाहर निकालने में मदद कर सकता है, इस प्रकार कोलेस्ट्रॉल के स्वस्थ स्तर को बनाए रखता है।राजगिरा
एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है जो शरीर में (inflammation - इन्फ्लमेशन) को कम करने में मदद करता है | राजगिरा एनीमिया को रोकने या दूर करने के लिए आहार में शामिल करने के लिए एक
लोहे से समृद्ध अनाज है |
मधुमेह रोगियों को दिन में सेवन किए जाने वाले अन्य कार्ब्स पर विचार करके इसे सीमित मात्रा में खाना चाहिए। राजगिरा के आटे के विस्तृत 10 लाभ पढें और आपको इसे अपने दैनिक आहार में क्यों शामिल करना चाहिए यह जानिए।
राजगिरा का आटा अकसर उपरी छिलके के साथ खाया जाता है, जिसमें बहुत से पौषण तत्व होते हैं।
• यह रेशांक और लौह से भरपुर होता है, जिसमें उच्च मात्रा में प्रोटीन होता है। यह इसे रोज़ के खाने के लिए उपयुक्त बनाता है।
• राजगिरा का आटा कॅलशियम और ऑक्सीकरण रोधी से भी भरपुर होता है।
• यह ग्लूटेन के प्रति संवेदशील के लिए उपयुक्त विकल्प है।