इमली का उपयोग करके बनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध पेय है अमलाना। क्या आपने इसके बारे में सुना है? यदि नहीं, तो आज ही आजमाएँ। यह एक स्वादिष्ट राजस्थानी पेय है जो इमली के गूदे के साथ बनाया जाता है और यह कालीमिर्च और इलायची जैसे मसालों के साथ अत्यधिक स्वादिष्ट बनता है। काला नमक एक अद्भुत स्वाद प्रदान करता है, जिसे मिन्ट का गार्निश और बढ़ाता है।
इमली का सबसे प्रमुख उपयोग सांभर बनाने में होता है - यह सभी दक्षिण भारतीय घरों में लगभग रोज़ बनाया जाने वाला व्यंजन है। इस रेसिपी का खट्टापन इमली के गूदे और टमाटर दोनों का मिश्रण है। सांभर दोपहर के भोजन के लिए पके हुए चावल, पापड़म और मसालेदार आम के अचार के साथ खाया जाता है।
इसी प्रकार, रसम को कई प्रकार के दक्षिण भारतीय व्यंजन जैसे वड़ा, चावल, इडली आदि के साथ परोसा जाता है, जिसमें इमली के उपयोग के कारण आकर्षक स्वाद होता है। रसम पाउडर के साथ बनाई गई यह सबसे बढ़िया दक्षिण भारतीय रेसिपी है, जो एक पतली दाल या सूप जैसी होती है। इसमें इमली का गूदा और कटे हुए टमाटर मिलाए जाते हैं और साथ ही सरसों और करी पत्ते के तडके से इसे सुगंधित बनाया जाता है।
टैमरिंड राइस एक दक्षिण भारतीय शैली का चावल है। टैमरिंड राइस या लोकप्रिय रूप से पुलियोडराई, पुलियोगरे, पुलिहोरा, पुली सदाम एक प्रसिद्ध दक्षिण-भारतीय खट्टा, मसालेदार चावल होता है। “पुली” का अर्थ कन्नड़, तेलुगु और तमिल में होता है इमली। इस नुस्खे में सिर्फ इमली के गूदे का उपयोग नहीं होता है, बल्कि कश्मीरी लाल मिर्च और तिल के साथ 3 प्रकार के दाल और एक विशेष मसाला पाउडर का भी उपयोग होता है।
कर्नाटक के प्रसिद्ध बीसी बीले भात में मुख्य मसाले के रूप में नारियल के साथ इमली भी शामिल होती है। इस रेसिपी में, एक विशेष नारियल के पेस्ट और इमली के पल्प के साथ चावल और अरहर दाल को पकाया जाता है और अंत में एक संतुष्ट भोजन के रूप में उपर से घी डालकर परोसा जाता है।
आह! दक्षिण की प्रसिद्ध चटनी कई तरह के डोसे के साथ परोसी जाती है। इनमें से कुछ इमली का उपयोग भी करते हैं। प्रसिद्ध मैसूर चटनी में दाल, इमली और मसालों का संयोजन होता है। इमली का पल्प आवश्यक खट्टापन देता है और इसे संतुलित करने के लिए थोड़ी मात्रा में गुड़ का उपयोग किया जाता है।
• खट्टापन प्रदान करने के अलावा, इमली खाने को नरम बनाने में भी मदद करती है।
• इसका प्रयोग अकसर खट्टी चटनी और भूख बढ़ाने वाला पेय बनाने के लिए किया जाता है।
• इमली बहुत से भारतीय व्यंजन को खट्टापन प्रदान करती है, जैसे अचार और करी।
• दक्षिण भारतीय रसोई को इमली के बिना अधुरा माना जाता है! इसका प्रयोग मशहुर दक्षिण भारतीय व्यंजन जैसे सांभर, रसम और कुछ चटनी में भी किया जाता है।
• स्वादिष्ट सांभर बनाने के लिए, सब्ज़ीयों को पहले इमली के पानी उबाला जाता है और बाद में सांभर पाउडर और पकी हुई दाल मिलाई जाती है।
• रसम बनाने के लिए भी, टमाटर और हरी मिर्च को पहले इमली के पानी में पकाया जाता है और बाद में पकी हुई दाल और रसम पाउडर मिलाए जाते हैं।
• गुड़ और ज़ीरा के साथ बनी इमली की चटनी, समोसे और पकौड़ो के साथ अच्छी तरह जजती है।
• इमली वोस्टरसायर सॉस में भी प्रयोग होने वाली एक सामग्री है।
• थाई खाने में एक मुख्य खट्टापन प्रदान करने वाली सामग्री, इमली सूप, सलाद, स्टर-फ्राय और सॉस को फल जैसा खट्टापन प्रदान करती है।
इमली संग्रह करने के तरीके
• अच्छी तरह पैक करने पर, इमली को कुछ हफ्तों के लिए सामान्य तापमान पर रखा जा सकता है।
• बेहतर होता है कि आप इसे काँच की बोतल या चिनी-मिट्टी के बर्तन में रखकर इसके ताज़े रंग को बनाए रखें।
इमली के फायदे, स्वास्थ्य विषयक (benefits of tamarind, imli in Hindi)
इमली एंटीऑक्सिडेंट पॉलीफेनोल का एक अच्छा स्रोत है जो एन्टी इन्फ्लैमटोरी गुणों को प्रदर्शित करता है। यह शरीर के विभिन्न अंगों जैसे
दिल, लीवर, त्वचा आदि की रक्षा कर सकता है। कुछ शोध से पता चलता है कि यह रक्त
कोलेस्ट्रॉल को कम करने में भी मदद करता है। इसमें वसा की नगण्य मात्रा होती है, लेकिन दूसरी तरफ, कैलोरी की मात्रा में इमली बहुत अधिक होती है। तो इसकी मात्रा के सेवन के बारे में बहुत सतर्क रहने की जरूरत है। इमली
विटामिन सी,
फाइबर,
पोटेशियम,
मैग्नीशियम और अन्य पोषक तत्वों का एक समृद्ध स्रोत है, जो स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। कुछ लोगों को इमली से एलर्जी हो सकती है, जबकि कुछ लोगों को इसके अधिक सेवन से दस्त का अनुभव हो सकता है क्योंकि इमली को अपने रेचक गुणों के लिए भी जानी जाती है।
इमली का पानी (tamarind water)
इमली का पानी बनाने के लिए, इमली को गुनगुने पानी में लगभग 15 मिनट के लिए भिगो दें। जब वह नरम हो जाए, इमली को मसलकर सुदा अलग कर लें। बचे हुए गुदे में और पानी डालकर, गुदे को दुबारा मसलकर धो लें। अगर आपको अभी भी गुदा गाढ़ा लगे, आप थोड़ा और पानी डालकर दुबारा ज्यूस निकाल सकते हैं। सभी गुदे को मिलाकर, पानी मिलाकर पतला कर लें। इसे छानकर पानी अलग कर लें, जिसे हिन्दी में इमली का पानी या तमिल में पुली थन्नू कहते हैं। इस पानी का प्रयोग सांभर, चटनी, रसम आदि जैसे व्यंजन में किया जाता है।